तपती गरमीमे देखे थे,
अमलतास गुलमोहर
साथ खडे,पूरी बहारपे!
देखा कमाल कुदरत का,
घरकी छयामे खडे होके!
तपती गरमी मे देखे...
हम तो मुरझा गए थे
हल्की-सी किरण से!
बुलंद-ए हौसला कर के
खडे हुए धूप मे जाके!
तपती गरमी देखे...
वो थे करिश्मे खुदाके,
हम थे ज़मीं के ज़र्रे !
कैसे बराबरी हो उनसे ?
वो हमसे कितने ऊँचे थे!
तपती गरमी मे देखे...
आसमाँ छूती बाहों के,
साए शीतल, घनेरे,
कैसे भूँले,जिनके तले,
हम महफूज़ रह, पले थे!
तपती गरमी मे देखे थे...
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बहुत सुन्दर भाव प्रदर्शन
जवाब देंहटाएंदरख़्त थे खुदा के करिश्मे!
जवाब देंहटाएंहम थे ज़मीं के ज़र्रे थे!
कैसे बराबरी हो उनसे ?
वो हमसे कितने ऊँचे थे!
तपती गरमी मे देखे...
bahut achchhi rachna.