गुरुवार, 18 जून 2009

मत काटो इन्हें !!

मत काटो इन्हें, मत चलाओ कुल्हाडी
कितने बेरहम हो, कर सकते हो कुछभी?
इसलिए कि ,ये चींख सकते नही?

ज़माने हुए,मै इनकी गोदीमे खेलती थी,
ये टहनियाँ मुझे लेके झूमती थीं,
कभी दुलारतीं, कभी चूमा करतीं,

मेरे खातिर कभी फूल बरसातीं,
तो कभी ढेरों फल देतीं,
कड़ी धूपमे घनी छाँव इन्हीने दी,

सोया करते इनके साये तले तुमभी,
सब भूल गए, ये कैसी खुदगर्जी?
कुदरत से खेलते हो, सोचते हो अपनीही....

सज़ा-ये-मौत,तुम्हें तो चाहिए मिलनी
अन्य सज़ा कोईभी,नही है काफी,
और किसी काबिल हो नही...

अए, दरिन्दे! करनेवाले धराशायी,इन्हें,
तू तो मिट ही जायेगा,मिटनेसे पहले,
याद रखना, बेहद पछतायेगा.....!

आनेवाली नस्ल्के बारेमे कभी सोचा,
कि उन्हें इन सबसे महरूम कर जायेगा?
मृत्युशय्यापे खुदको, कड़ी धूपमे पायेगा!!
शमा

4 comments:

mark rai said...

आनेवाली नस्ल्के बारेमे कभी सोचा,
कि उन्हें इन सबसे महरूम कर जायेगा...
are shama jee..sochna to barason chod diya logo ne ...sochte to jo kutte jaisi haalat aane waali wo nahi aati ... ab to n ghar ke rahege aur n ghaat ke...

creativekona said...

शमा जी ,
आपका कमेन्ट और कविता दोनों पढी ...और निर्णय नहीं ले पा रहा की आपको किस रूप में संबोधित किया जाया .आप ने इतनी अच्छी कविता लिखी ...इतने सुन्दर भावों के साथ ...और खुद को कवि भी नहीं स्वीकार कर रही हैं ...
बात सिर्फ कविता की ही होती तब भी ठीक था ...आप लेख ,संस्मरण ,ललित निबंध सबकुछ लिख रही हैं ...आप ने वाइस ओवर में ये कविता पढी है ...इसका मतलब आप फिल्म या इलेक्ट्रानिक मीडिया से भी जुडी हैं ...कमल की बात है की इतनी ढेर सारी प्रतिभा के होते huye भी आप खुद को lekhika नहीं मान रही हैं ..मैं इतनी देर से नेट पर baithe rahne के bad भी निर्णय नहीं ले पा रहा की आप को क्या maanoon ?
Hemant

creativekona said...

शमा जी ,
आपका कमेन्ट और कविता दोनों पढी ...और निर्णय नहीं ले पा रहा की आपको किस रूप में संबोधित किया जाया .आप ने इतनी अच्छी कविता लिखी ...इतने सुन्दर भावों के साथ ...और खुद को कवि भी नहीं स्वीकार कर रही हैं ...
बात सिर्फ कविता की ही होती तब भी ठीक था ...आप लेख ,संस्मरण ,ललित निबंध सबकुछ लिख रही हैं ...आप ने वाइस ओवर में ये कविता पढी है ...इसका मतलब आप फिल्म या इलेक्ट्रानिक मीडिया से भी जुडी हैं ...कमल की बात है की इतनी ढेर सारी प्रतिभा के होते huye भी आप खुद को lekhika नहीं मान रही हैं ..मैं इतनी देर से नेट पर baithe rahne के bad भी निर्णय नहीं ले पा रहा की आप को क्या maanoon ?
Hemant

'sammu' said...

KABHEE SOCHA KI SABHEE PED HAIN DHARTEE MAAN KE
KAL KEE AULAD TEREE USKEE BHEE AULAD HEE HAI

USKO BHEE DENA HAI USKO BHEE PYAR PANA HAI
TOO TO CHAL DEGA MAGAR USKO NIBHANA BHEE HAI

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