आज जब देख रही हूँ,
पीली पुरानी तस्वीरें ,
आ रहे हैं याद मुझे,
कितनेही गुज़रे ज़माने,
भूली नही पल एकभी,
ना ख़ुशी का, ना ग़म काही ,
पर आज हर लम्हये ख़ुशी,
खुनके आँसू रुला रही,
दर्द अब नही रुलाता,
उसकी तो आदत पड़ गयी,
ख़ुशी है जो नायाब बन गयी ....
पीली पुरानी तस्वीरें ,
आ रहे हैं याद मुझे,
कितनेही गुज़रे ज़माने,
भूली नही पल एकभी,
ना ख़ुशी का, ना ग़म काही ,
पर आज हर लम्हये ख़ुशी,
खुनके आँसू रुला रही,
दर्द अब नही रुलाता,
उसकी तो आदत पड़ गयी,
ख़ुशी है जो नायाब बन गयी ....
waah.....adbhut,kabil-e-tarif
जवाब देंहटाएंरोकीं हजार बार राहें नहीं रुकीं
जवाब देंहटाएंमंजिल हर एक बार पड़ाव ही निकली
रिश्तों की चासनी में डूबे हजार बार
लहराती हुई खुशबू पीले खतों से निकली
बरसी हजार बार एक बार न बरसी तो
बदली की बेबसी फिर आंसुओं से निकली