शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

"शमा" को बुझाके....

"शमा"को बुझाके....

अभी, अभी, नेहलाये गए हैं,
सफ़ेद कपडेमे लपेटे गए हैं,
लगता है, मारे गए हैं,
हमें पत्थरोंसे मारनेवालें,
हमपे फूल चढा रहे हैं....
जीते जी हमपे हँसनेवाले,
सर रख क़दमोंपे हमारे,
जारोज़ार रोये जा रहे हैं........
इस "शमा"को बुझाके,
एक और शमा जला रहे हैं....
हमारी परछाईसे डरनेवाले,
क्यों हमें लिपट रहे हैं?
बेशक, हम लाशमे,
तबदील किए जा चुके हैं......
ये क्या तमाशा है?
ऐसा क्यों कर रहे हैं??
शमा

19 टिप्‍पणियां:

  1. mn ki gehraaee se nikle hue sanjeeda alfaaz..
    bhaavnaaoN meiN beh nikli vednaa...
    and above all...aapki kalaatmaktaa...
    sb kuchh apne saath bahaa le jaane meiN
    saksham hai...
    dua karta hooN k parmaatma ka
    aashirwaad hamesha aapke saath rahe.
    ---MUFLIS---

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  2. KOYEE 'SHAMA' KYA BUJHEGEE ,
    KOYEE AUR KYA JALEGEE,
    TEREE LASH KA JANAJA ,
    TO CHALA TEREE UMAR BHAR .

    YE NA 'SANG' HEE NAYE HAIN ,
    NA TO SANG HEE NAYE HAIN.
    HAR SHAM SE SUBAH TAK,
    HAI JALEE'SHAMA' JABAR BHAR .

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  3. रचना बहुत अच्छी लगी,बधाई।
    मैनें आप का ब्लाग देखा। बहुत अच्छा
    लगा।आप मेरे ब्लाग पर आयें,यकीनन अच्छा
    लगेगा और अपने विचार जरूर दें। प्लीज.....
    हर रविवार को नई ग़ज़ल,गीत अपने तीनों
    ब्लाग पर डालता हूँ। मुझे यकीन है कि आप
    को जरूर पसंद आयेंगे....
    - प्रसन्न वदन चतुर्वेदी

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  4. hummm saral shabdo main sari kahani kahna koi aapse sheekhe ....!! bt DOST mana aisa hota hai lakin hamesha aisa ho....main nahi manta ...!! ab dekho na aapki life main bahut kuch achhha hai ....jaise mujh jaisa idiot stupid DOsT !! dont take otherway i just wana say tht for me or ur all fan write something HOLI happy moment ....waise main likhna chahta hui ....bt kya karu....aapna kavita wala portion khali hai....phir bhi aapke liye...
    सोचा न था की कभी दोस्ती होगी
    दिल जिसके लिए रो सके वैसी उल्फत होगी
    अब जन्नत की गलियों का रास्ता क्यूँ देखूं
    जहाँ तुम हो वहीँ से जन्नत शुरू होगी॥!!

    wait wait yaar tell me one thing Aap itni multitallented kaise ho.....? aap sab kuch karte ho....BOSS Jai Ho !!keep it up

    JAi Ho Mangalmay ho

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  5. जीते जी हमपे हँसनेवाले,
    सर रख क़दमोंपे हमारे,
    जारोज़ार रोये जा रहे हैं........
    इस "शमा"को बुझाके,
    एक और शमा जला रहे हैं....

    BAHUT DARD HAI,LEKIN HAKIKAT BHI YAHI HAI SHAYAD... BAHUT DINO BAAD APKI RACHNAYEN PADHIN...
    DIL-O-DIMAG KO CHHU GAYIN...

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  6. शमा जी,

    आप मुझे लज्जित कर रहीं है।

    मैं तो यूँ ही इक्का-दुक्का कुछ लिख दिया करता हूँ।

    कविताओं में रोमांस होना भी जरुरी है

    जो मैं व्यक्त भी नहीं कर पता

    ऐसे अनेक ब्लोगर्स हैं जिन्होंने हिन्दी ब्लोग्स को धनी किया है।

    लेकिन शुक्रिया कहना मेरा फ़र्ज़ है।

    इसी तरह उत्साह बढाती रहेंगी, ऐसी आशा कर सकता हूँ...

    नीरज

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  8. हम तो भटक रहे थे अँधेरे में यूँ ही शामो सहर ,
    दिखी शमा तो ठहर गए हम रह-गुज़र. - (शशि)

    आपकी रचनाएँ वाकई उत्कृष्ट हैं.... ४-५ कवितायेँ तो एक सुर में पढ़ चूका हूँ... आपकी और रचनाओं का बेहद इन्तेज़ार रहेगा...

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  10. खुसबू से भरी शाम मैं जुगनू के कलम से,
    इक नज़्म तेरे वास्ते लिखेंगे किसी दिन,


    सोयेगे तेरी आँख की खुलावत मैं किसी रात,
    साए में तेरी जुल्फ के प्रियराज जागेंगे किसी दिन .......

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  11. shama ji , itni shaandar kavita ke liye badhai .. aapne bahut hi bhaavpoorn dhang se apni baat kahi hai

    badhai sweekar karen ..

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  12. Bhavuk, sargarbhit aur sabse mahatwapurna purnatah practical.
    The way you touched the dimension is remarkable.

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  13. शमा जी
    आज आपके कविता वाले ब्लॉग पर आया
    यहाँ भी आपको उतना ही दर्दमंद पाया



    जो मौत देख पाते हैं
    वही जिंदगी निबाहते हैं

    यही है सच जीवन का
    जो मर के देख पाते हैं

    जिसने जी ली मौत जीते जी
    वो फरिश्तों में बदल जाते हैं

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