शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

चश्मे नम मेरे....

चश्मे नम मेरे....

परेशाँ हैं, चश्मे नम मेरे,
कि इन्हें, लमहा, लमहा,
रुला रहा है कोई.....

चाहूँ थमना चलते, चलते,
क़दम बढ्तेही जा रहें हैं,
सदाएँ दे रहा है कोई.....

अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......

शमा

3 comments:

'sammu' said...
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mark rai said...

अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
kaaphi badhiya likha hai ..dil me utar gayi ye rachna..

Shama said...

Pehli post hata dee hai kyonki usme naamkaa spelling galat tha...shayd wo kisee aurke liye thee, jo yahan aa gayi..maafee chahti hun..!

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