बुधवार, 29 जुलाई 2009

ना खुदाने सताया...

ना खुदा ने सताया
ना मौतने रुलाया
रुलाया तो ज़िंदगी ने,
माराभी उसीने
ना शिकवा खुदासे
ना गिला मौतसे
थोडासा रेहेम माँगा
तो वो ज़िंदगी से
वही ज़िद करती है
जीनेपे अमादाभी
वही करती है
मौत तो राहत है
वो चूमके पलकें,
गहरी नींद सुलाती है!
ये तो जिन्दगी है
जो नींदे चुराती है!
पर शिकायत से भी,
डरती हूँ उसकी,
ग़र कहीँ सुनले,
एक ऐसा,पलटके ,
तमाचा जड़ दे,
ना जीनेके क़ाबिल रखे,
ना मरनेकी इजाज़त दे...

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब लिखती हैं --न जीने के काबिल रखे न मरने की इजाज़त दे । मज़ा आ गया

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  2. एक तो आपके ब्लॉग बहुत हैं ,कौनसा पढें उलझन में पड़ जाते हैं |ज्यादातर में लेख या कविता (गजल ) ही पढता हूँ तो यह ब्लॉग खोला |रचना भावपूर्ण ,कड़वा सच ,केवल उसके लिए जिसके साथ जीवन में कई उलझाने आई हों और फिर भी वह लगातार संघर्ष करता रहा हो |खुदा किसी को क्या सताएगा ,मौत भी कब आदमी को रुलाती है ,हाँ मौत पर कुछ [चाहने वाले जरूर रोते है] "" जो रात दिन मेरे मरने की कर रहे थे दुआ , वो रो रहे है जनाजे पे हिचकियाँ लेकर ""और " तमाशा देख रहे थे जो डूबने का मेरे , मेरी तलाश में निकले हैं कश्तियाँ लेकर ""न जीने के काविल रखे न मरने की इजाज़त दे ,बहुत सुंदर बात | मुगले आज़म फिल्म की बरवस याद आगई ""सलीम तुझको मरने नहीं देगा और अनारकली हम तुझे जीने नहीं देंगे "मौत को गहरी नींद में सुलाने वाला माना सही है मगर "मांगने से जो मौत मिल जाती कौन जीता इस ज़माने मैं | बहुत दिन बाद पढ़ा इसलिए कुछ ज्यादा लिख गया ,कहीं भी बेअदबी हुई तो क्षमा प्रार्थना |

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  3. कविता बहुत ख़ूबसूरत है. आपके कई ब्लाग होने से वाकई दिक्कत होती है. सारे ब्लाग खोल-खोल कर देखे तब अपने मन के तक पहुंच पाया हूं.

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  4. shamaji,
    " bahut hi accha likha hai aapne ..maut aur khuda ka ajib sa varnan aapne kiya hai ..so beautiful"

    ----- eksacchai {AAWAZ}

    http://eksacchai.blogspot.com

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