Monday, June 4, 2007
पहलेसे उजाले...
छोड़ दिया देखना कबसे
अपना आईना हमने!
बड़ा बेदर्द हो गया है,
पलट के पूछता है हमसे
कौन हो,हो कौन तुम?
पहचाना नही तुम्हे!
जो खो चुकी हूँ मैं
वही ढूंढता है मुझमे !
कहाँसे लाऊँ पहलेसे उजाले
बुझे हुए चेहरेपे अपने?
आया था कोई चाँद बनके
चाँदनी फैली थी मनमे
जब गया तो घरसे मेरे
ले गया सूरज साथ अपने!
निवेदन:कृपया बिना इजाज़त किसीभी लेखन का अन्यत्र इस्तेमाल ना करे।
अपना आईना हमने!
बड़ा बेदर्द हो गया है,
पलट के पूछता है हमसे
कौन हो,हो कौन तुम?
पहचाना नही तुम्हे!
जो खो चुकी हूँ मैं
वही ढूंढता है मुझमे !
कहाँसे लाऊँ पहलेसे उजाले
बुझे हुए चेहरेपे अपने?
आया था कोई चाँद बनके
चाँदनी फैली थी मनमे
जब गया तो घरसे मेरे
ले गया सूरज साथ अपने!
निवेदन:कृपया बिना इजाज़त किसीभी लेखन का अन्यत्र इस्तेमाल ना करे।
चाँदनी फैली थी मनमे
जवाब देंहटाएंजब गया तो घरसे मेरे
ले गया सूरज साथ अपने!
faili thi chandni aur le gaya suraj.wah!
एक और ब्लॉग के साथ, आपका हिंदी ब्लॉगजगत में स्वागत है।
जवाब देंहटाएंशानदार। तो आपका एक और ब्लॉग। मेरे ब्लॉग पर भी आएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबड़ा बेदर्द हो गया है,
जवाब देंहटाएंपलट के पूछता है हमसे
कौन हो,
bahut hi dardeelee rachana.
------------------------------------"VISHAL"
vaise to aaina insan me ahnkar kee beej bota hai. narayan narayan
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